बुद्धिमान लोगों को करना चाहिए यह कार्य:-
बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना करें:-
दोस्तों सबसे पहली बात तो यह है कि आपको बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना करने के लिए इसलिए बताया है क्योंकि बुरा मित्र आपसे अगर नाराज होगा तो वह निश्चित ही आपके सारे राज अन्य लोगों के सामने बता देगा जिससे आपको भारी हृदय पीड़ा उत्पन्न होगी और आपको भी अपने उस मित्र के बारे में गलत विचार आएंगे।
बुरे मित्र पर इतना ही विश्वास करें जितना आपको सही लगे बुरे मित्र पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करना आप के लिए घातक हो सकता है इसीलिए बुरे मित्र को अपने राज की बातें ना बताएं जिससे कि वह आपके राज दूसरों से कह सके और आपको दूसरों की दृष्टि में गिरा सके.
अर्थात कहने का दृष्टिकोण यह है कि आपको सदैव सच्चे मित्र से ही मित्रता करनी चाहिए इसी के विपरीत अगर आप बुरे मित्र से मित्रता करते हैं तो आपको हृदय पीड़ा के अलावा कुछ नहीं मिलने वाला इसीलिए बुरे मित्र पर कभी भी विश्वास करने के लिए नहीं बोला है।
मन से विचारे गए कार्य किसी को इसलिए नहीं बताना चाहिए:-
मेरे अनुसार जो कार्य आप करना चाहते हैं अर्थात अपने मन में संजोए बैठे हैं वह कार्य दूसरों को तब तक ना बताएं जब तक आप उसमें लक्ष्य प्राप्त ना कर ले यदि आपने लक्ष्य प्राप्त करने से पहले ही अपने मन में विचार गए कार्य को किसी से कह दिया तो यह भी हो सकता है कि आप उस कार्य को ना कर पाए उससे पहले वह मनुष्य आपके कार्य को प्रगति दे दें।
इसीलिए अपने मन में विचारे गए कार्य को किसी को भी बताने से मना किया है तथा यह भी बताया है कि जो कार्य आप अपने मन में बेचारे वह अपने मन में ही एक मंत्र की भांति रक्षित करके रखें और तब तक किसी को भी ना बताएं जब तक आप उस कार्य में सफल ना हो जाए क्योंकि आपकी सफलता बहुत से लोगों को पसंद नहीं आती अर्थात इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो आपकी सफलता से घृणा करते हैं इसीलिए अपने मन में विचार गए कार्य को किसी से ना कहें।
दूसरे के घर पर कभी इसलिए ना रहे:-
दोस्तों दूसरे के घर में रहने से इसलिये मना किया है क्योंकि यही वह लोग हैं जो दुनिया में अन्य लोगों से आप की विफलता के गुणगान करेंगे आचार्य चाणक्य जी ने यह भी बताया है कि जीवन में सबसे ज्यादा दुख आपको यौवन यानी युवावस्था में ही मिलेंगे।
इसलिए सबसे ज्यादा आपको युवावस्था में अपने ऊपर संतुलन बना कर रखना चाहिए क्योंकि यही वह अवस्था है जिसमें आप को सबसे ज्यादा दुख भी मिलेंगे और आपको सफल होने के मंत्र भी इसी अवस्था में मिलेंगे कहने का अर्थ यह है कि आपको युवावस्था में संयम बनाकर रखने की जरूरत है।
इसलिए की गई मणि की चंदन से तुलना:-
मित्रों जिस प्रकार हर एक पर्वत में मणि नहीं होती ठीक उसी प्रकार हर जंगल में चंदन के पेड़ पौधे नहीं होते कहने का अर्थ यह है कि हर जगह हर एक वस्तु उपलब्ध नहीं होती अर्थात आपको यह नियंत्रित करना है कि आपको किस तरह से कौन सा कार्य करना चाहिए।
Good sir